देश की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री आठ साल का सबसे बुरा दौर देख रही है, ठीक उसी समय सरकार ने देश के लिए ‘इलेक्ट्रिक सपना’ देखा है। इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% करने का फैसला हुआ है। इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने वालों को लोन पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपए की अतिरिक्त इनकम टैक्स छूट भी मिलेगी। पहले से जारी एक लाख की छूट को जोड़कर यह फायदा ढाई लाख रुपए तक बनता है। सरकार ने इलेक्ट्रिक व्हीकल से जुड़े ऐलान तो किए हैं, लेकिन देखना यह है कि इसका असल फायदा ग्राहकों तक पहुंचेगा भी या नहीं।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चसर्स (सियाम) के आंकड़ों को देखें तो पता चलेगा कि 8 साल में 2019 का अप्रैल ऐसा महीना बीता है, जिसमें सबसे कम वाहन बिके। अप्रैल 2019 में अप्रैल 2018 के मुकाबले वाहनों की बिक्री में 16% की गिरावट आई। देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या ने यूं तो इस साल साढ़े सात लाख का आंकड़ा छू लिया है, लेकिन इनमें ज्यादातर संख्या थ्री व्हीलर्स और टू व्हीलर्स की ही है। सरकार का लक्ष्य है कि 2030 तक देश में बिकने वाले 30% वाहन इलेक्ट्रिक हों। सरकार नेशनल इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन प्लान के तहत 2020 तक छह से सात मिलियन इलेक्ट्रिक वाहन सड़क पर देखना चाहती है, लेकिन यह अभी सिर्फ सपना है। ब्लूमबर्ग एनईएफ की रिपोर्ट कहती है- भारत जिस धीमी रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, उस हिसाब से तो 2030 तक सिर्फ 6% इलेक्ट्रिक वाहन सड़कों पर होंगे।
इलेक्ट्रिक व्हीकल्स में बड़ी समस्या कीमत की भी है। ऑटो एक्सपर्ट टूटू धवन कहते हैं भारत जैसे देश में जहां आम लोग बजट कार खरीदते हैं, वहां दोगुनी कीमत चुकाकर कोई इलेक्ट्रिक कार क्यों खरीदेगा? उस पर भी इलेक्ट्रिक व्हीकल में बैटरी सबसे बड़ी समस्या है। तीन साल या पांच साल बाद जब भी आपको बैटरी बदलवाने की जरूरत पड़ेगी तो अच्छा-खासा पैसा देना पड़ेगा। क्योंकि इलेक्ट्रिक व्हीकल में 50% से 60% कीमत सिर्फ बैटरी की होती है।